एन. एच. एम. कर्मचारियों ने मोदी गारंटी पूरा करने मांग की।

0
IMG-20250825-WA0014

गरियाबंद जिले के सभी एन एच एम संविदा कर्मचारियों का अनिश्चित कालीन आंदोलन आठवें दिन भी जारी.

छत्तीसगढ़ प्रदेश एन एच एम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित मिरि, महासचिव कौशलेश तिवारी, कार्यकारी अध्यक्ष श्याममोहन दुबे, संगठन प्रमुख और कोषाध्यक्ष डॉ अमित मिरि के मार्गदर्शन और अमृत राव भोंसले गरियाबंद जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में दिनांक 25-08-2025 को एनएचएम के द्वारा किए जा रहे अनिश्चित कालीन आंदोलन का आठवां दिन था। जिले में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। संस्थानों में हड़ताल की वजह से ताले लटके हुए है। जिला चिकित्सालय में पीएचसी और सीएचसी से रेफर की भरमार हो गई है। जिला अस्पताल भी क्रिटिकल केयर के आपात स्थिति में मरीजों का रेफर कर रहा है।पूरे प्रदेश में लगभग सभी जिले में यही स्थिति है। इसके बाद भी सरकार की कुंभकर्णी निद्रा टूट नहीं रही है।

*गणेश सोनी ब्लॉक संरक्षक और पुष्पा कुर्रे ब्लॉक अध्यक्ष मैनपुर ने कहा कि लगातार 22 सालों से कार्य करते हुए एनएचएम कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे है। इतना तो मध्यप्रदेश सरकार के कार्यरत रहे देवे भोगी कर्मियों को तकलीफ नहीं हुई जितना छत्तीसगढ़ के बनने के बाद हो रही है। राज्य वन विभाग,हो या राज्य के अन्य विभाग जहां पर भी दैनिक वेतन भोगी हो या संविदा कर्मी सभी के संबंध में पूर्व में भी उचित निर्णय लिए गए। इसी तरह एनएचएम के कर्मियों के बारे में भी सरकार कुछ न कुछ उचित कदम उठा ही सकती है।*

प्रांतीय प्रतिनिधि भूपेश साहू और भूपेंद्र सिन्हा ने कर्मियों की व्यथा को बताया

संविदा स्वास्थ्य कर्मी की उम्र निकलती जा रही है आगे किसी अन्य नौकरी में आवेदन की लिए अब हम अस्वीकार्य की श्रेणी में गिने जा रहे है। राज्य से निकलने वाले पदों में नियमित कोर्स पूर्ण करने वाले वाले अभ्यर्थियों को पात्र किया जा रहा है, पूर्व से एनएचएम में कार्यरत कर्मी जो दूरस्थ शिक्षा पद्धति से डिग्री प्राप्त किए थे आज वो उन पदों के लिए अयोग्य घोषित किए जा रहे है। विडंबना यह है कि कोई कार्यरत कर्मचारी नौकरी में रहते हुए नियमति पढ़ाई कर कैसे डिग्री प्राप्त कर सकता है ? यह तो दूरस्थ शिक्षा पद्धति और पत्राचार माध्यम से प्रदाय की जा रही शिक्षा व्यवस्था का बहुत बड़ा मजाक बना दिया गया है। यदि राज्य के द्वारा संविदा भर्ती नियम निर्धारित करने वाले नीति निर्धारक इस तरह के एच आर नियमो का निर्धारण करेंगे तो इतनी बड़ी दूरस्थ शिक्षा पद्धति का क्या मतलब। भारत सरकार को इग्नू जैसी संस्थाओं को बंद कर देना चाहिए। जिसका खुले आम मजाक बनाया जा रहा है । यदि इन दूरस्थ शिक्षा पद्धति से पास आउट हुए छात्रों को आप अयोग्य या अनुचित मानते है तो फिर आपको पत्र लिख कर भारत सरकार से यह अपील करना चाहिए कि इन कोर्सेस को बंद करे। क्यों लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

ब्लॉक संरक्षक गरियाबंद शेखर धुर्वे और अध्यक्ष धीरज शर्मा* ने बताया कि

यह एक बहुत ही दमनकारी नीति है इस नीति के कारण कोई भी एनएचएम कर्मचारी या अन्य विभाग का संविदा कर्मचारी भी भविष्य में बड़े या उच्च पदों पर नौकरी नहीं प्राप्त के सकते है।

बढ़ती उम्र के साथ घर की जिम्मेदारियां भी बढ़ रही है, बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अधिक पैसे की आवश्यकता,बच्चों के विवाह के लिए लोन,घर बनाने के लिए लोन एन सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एनएचएम कर्मी नियमितिकरण,संतोषप्रद वेतनमान, नौकरी की गारंटी एवं अन्य मांगों को लेकर संघर्षरत है।

जिला उपाध्यक्ष दीपेश टांडी और सचिव कमलेश्वर ढीढी ने कहा कि

बैंक से पर्सनल लोन तक भी इस कर्मियों नहीं मिलते। आज 22 सालों से कार्यरत कर्मियों के ग्रेड पे निर्धारण का पता नहीं है । छत्तीसगढ़ राज्य बने आज 25 साल हो चुके है। छत्तीसगढ़ महतारी के इन संतानों का हक यहां की सरकारों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया है।

*पारुल सिन्हा ने व्यथित होकर बताया कि*

यह बहुत दुखद है कि विगत 25 सालों से सरकार आती रही जाती रही पर कोई भी यथोचित कदम नहीं उठाया गया। जोकि बहुत निराशाजनक है। अन्य राज्यों की तुलना कर जहां एमएचएम कमियों के समर्थन में फैसला लिया गया था वहां के नीति निर्धारण करने हेतु राज्य को कई बार पत्र ज्ञापन दिया गया। पर उसका निरीक्षण कर संबंधित समिति और अधिकारियों ने आज शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया। कई दौर की राज्य के अधिकारियों से चर्चा के उपरांत भी उनके अड़ियल रवैए और असंवेदशीलता के कारण आज 22 सालों से कर्मचारी उनका खामियाजा भुगत रहे है। इस बार एनएचएम के कर्मचारी आर या पार के मूड में है जो इस बार समुचित निराकरण के बाद ही हड़ताल से लौटेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्य खबरें