गरियाबंद जिले के अधिकारी कर्मचारी हुये बेलगाम ?

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विधायक ने मांगी जांच – लेकिन जनपद सीईओ ने आवेदन को किया दर किनार ‌!

छुरा जनपद पंचायत, ब्लाक शिक्षा कार्यालय, जिला शिक्षा कार्यालय का हाल बेहाल।

छुरा – छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का अपने आपको करीबी बताने वाले उधारी का प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जो विधायक के पत्र को तवज्जो नहीं देते जो क्षेत्र के जनताओ में चर्चा का विषय है ।

राजिम विधानसभा क्षेत्र के जनपद पंचायत छुरा ग्राम पंचायत हरदी में ग्रामसभा के प्रस्तावों की लगातार अनदेखी और सचिव की मनमानी का मामला अब गंभीर रूप ले चुका है। हरदी के ग्रामीणों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने विधायक रोहित साहू को लिखित शिकायत सौंपी थी। विधायक ने इसे गंभीर मानते हुए जनपद पंचायत छुरा के सीईओ को जांच कर नियमानुसार कार्यवाही करने और रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि जब हरदी निवासी उक्त आवेदन लेकर सीईओ सतीश चंद्रवंशी के पास पहुंचे, तो उन्होंने आवेदन स्वीकार करने और जांच कराने के बजाय उसे दरकिनार कर दिया ।

*ग्राम सभा के प्रस्ताव बने उपेक्षा के शिकार*

सचिवों की हड़ताल के दौरान ग्रामसभा में कई अहम प्रस्ताव पारित हुए थे, जिनमें से आज तक किसी पर भी अमल नहीं हुआ। इनमें शामिल हैं—

2021 से 2025 तक आय-व्यय की जानकारी सार्वजनिक करना।

पानी टंकी में बोर खनन की जांच।

. नर्सरी धरसा वर अवैध निर्माण की जांच।

. बोरिंग और हैंडपंप सामग्री की गड़बड़ी पर कार्यवाही।

ग्रामीणों का कहना है कि सचिव द्वारा इन प्रस्तावों की लगातार अवहेलना भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।

*भाजपा कार्यकर्ताओं ने जताई नाराज़गी*

लखन लाल तिवारी, बलदेव साहू, मंथीर सिंह ध्रुव, अमरसिंग तारक, विजय तिवारी और रूपनाथ बंजारे समेत कई वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं ने आवेदन पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि ग्रामसभा की अनदेखी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला है।

*विधायक ने लिया संज्ञान, लेकिन सीईओ की हरकत से नाराज़ ग्रामीण*

विधायक रोहित साहू ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि शिकायत पत्र में दर्ज विषयों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाए और उन्हें रिपोर्ट दी जाए। मगर ग्रामीणों का आरोप है कि सीईओ सतीश चंद्रवंशी ने आवेदन को कचरे में डालकर यह साबित कर दिया कि वे भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं।

*ग्रामीणों में उबाल*

हरदी के ग्रामीणों ने कहा कि यह आचरण लोकतंत्र का अपमान है। यदि सीईओ और प्रशासनिक अधिकारी ऐसे ही गंभीर शिकायतों को कचरे में फेंकेंगे, तो आम जनता का विश्वास कैसे कायम रहेगा? ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

यह मामला अब सीईओ बनाम जनता बन चुका है। विधायक ने तो जांच के आदेश दिए, लेकिन सीईओ की हरकत ने ग्रामीणों के आक्रोश को और भड़का दिया है।