आखिर कितना खतरनाक है प्राथमिक शालाओं में 1+1 का सेट अप।

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शासन धीरे धीरे प्राइवेटाइजेसन की ओर बढ़ रही है.

युक्तियुक्तकरण के तहत जिन प्राथमिक शालाओं में दर्ज संख्या 60 है वहाँ 1+1 (1 प्रधानपाठक+1 सहायक शिक्षक) का सेट अप निर्धारित किया गया है।पूर्व में यह 1+2 (1 प्रधानपाठक+2 सहायकशिक्षक) हुआ करता था।अर्थात् सहायक शिक्षक का 1 पद समाप्त हो रहा है। अब 3 शिक्षकों का काम 2 शिक्षकों को करना होगा।1 ली से 5 वीं तक 1 दिन में 18 पीरियड होते हैं प्रति शिक्षक 9 पीरियड। 2 शिक्षक 2 कक्षा में शिक्षण कार्य करेंगे और 3 कक्षाएँ खाली होंगी।ऊपर से रोज नये-नये डाक, विभिन्न जानकारियाँ, जाति प्रमाणपत्र, अपार ID, Blo कार्य, FLN, बालवाड़ी, Udise, छात्रवृत्ति, ऐसे अनगिनत कार्य।फिर कहेंगे गुणवत्ता नहीं आ रही है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है। बच्चे निजी विद्यालयों की ओर अग्रसर होंगे।दर्ज संख्या दिन-ब-दिन कम होती जाएगी और शिक्षकों की भर्ती करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।ऐसा न हो कि सरकारी स्कूल धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएँ और शिक्षा पूर्ण रूप से निजी हाथों में चली जाए।शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने की चिंता हो जाय और बेरोजगारों का सरकारी शिक्षक बनने का सपना चूर-चूर हो जाय।शासन द्वारा अभी युक्तियुक्तकरण का सरक्युलर निकाला गया है उसमे कुछ सुधार किया जाए तो शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आ सकती है. राजनांदगाव जिले के शालेय शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष सुशील शर्मा ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि पहले पदोन्नति हो फिर हर प्राइमरी स्कूल में 3 से 5 शिक्षक अनिवार्य हो ! सबसे ज्यादा काम जमीनी स्तर में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक को करना पड़ता है ।जब बुनियादी शिक्षा एवं साक्षरता की बात करते हैं तो एक विचारणीय प्रश्न आता है प्राथमिक शाला में 5 कक्षाएं जिसमें 1 या 2 शिक्षक हैं तो कहां से कहाँ से साक्षरता आएगी ! वहीं मिडिल या हाईस्कूल में विषय के अनुरूप शिक्षक चाहिए होता है व है,,, तो कम से कम प्राइमरी स्कूलों में विषय के अनुरूप नही तो कक्षा के अनुसार तो शिक्षक होना चाहिए तभी तो ps वाले मिडिल या hs, hsc स्कूलों में दक्ष बच्चे भेजेंगे,,नही तो ms या hs वाले बोलते रहेंगे कि जो ps से बच्चे आये हैं उन्हें नाम लिखना नही आता ! सोचिए ps में 5 कक्षा 1 या 3 शिक्षक विषय अनुसार तो छोड़िए कक्षा के अनुसार शिक्षक नही और गुणवत्ता चाहेंगे तो कहां से आएगी !

शासन व संगठन को चाहिए कि प्रथम ps में कम से कम कक्षावार शिक्षक की व्यवस्था करें,,तभी बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान आगे की कक्षाओं के लिए बच्चे तैयार हो पाएंगे !
अधिकतर लोग उच्च कक्षाओं में विषय के अनुरूप शिक्षक हों सोचते हैं या चाहते हैं लेकिन प्राथमिक में विषय नही तो प्रत्येक कक्षा के लिए 1 शिक्षक चाहिए ये क्यों नही सोचते !
भले ही उच्च कक्षाओं में शिक्षक कम हो लेकिन बुनियादी साक्षरता चाहते हो तो ps के लिए प्रत्येक कक्षा के अलग अलग शिक्षक की नियुक्ति हो ! नही तो प्राथमिक शाला का ओचित्य समाप्त हो जायेगा.

*सुशील शर्मा*
*जिला उपाध्यक्ष*
*शालेय शिक्षक संघ राजनांदगाव*

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