किसान नेता गणेश जायसवाल की केन्द्र सरकार से मांग : पशु पालन कार्य को मनरेगा से जोड़कर पशु पालकों को प्रोत्साहन देने वर्ष में 30 दिवस की हाजिरी के बराबर राशि दिया जाए और पशुओं को चराने के लिए चरवाहा रखकर मनरेगा से मजदूरी भुगतान करने से दुग्ध उत्पादन, जैविक खेती बढ़ेगा और आवारा मवेशी से दुघर्टना नहीं होगी…

0
IMG-20241107-WA0186

पेण्ड्रा।गौरेला। मरवाही (07 नवंबर 2024) :
पशु धन में वृद्धि हेतु पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा के कार्य के नियम में संधोधन कर पशु पालन करने वाले किसान परिवार को वर्ष में कम से कम 30 दिवस का मजदूरी भुगतान करने एवं पशुओं को वर्ष भर चराने के लिए चरवाहा की मजदूरी का भुगतान भी मनरेगा से करने की मांग पेण्ड्रा के किसान नेता गणेश जायसवाल ने केन्द्र सरकार से की है। मांग की प्रतिलिपि कलेक्टर के माध्यम से छत्तीसगढ़ शासन को भी प्रेषित की गई है।

बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्य में केन्द्र सरकार 28 तरह के नए कार्यों को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। इसलिए पेण्ड्रा के किसान नेता गणेश जायसवाल ने नए कार्यों में ऐसे कार्यों को भी जोड़ने की मांग केन्द्र सरकार से की है जिससे कि छत्तीसगढ़ राज्य सहित भारत देश में पशुधन में वृद्धि हो और पशुधन में वृद्धि करने के लिए किसानों को मनरेगा जैसे योजना से प्रोत्साहन मिले।

किसान नेता गणेश जायसवाल का मानना है कि दूध और गोबर की अधिक मात्रा में उपलब्धता के लिए गौ वंश से जुड़े गाय, बैल, भैंस, भैंसा को पालना और उनकी संख्या बढ़ाना जरूरी है। लेकिन पशु पालन करने वाले किसानों के समक्ष विपरीत परिस्थितियां निर्मित होते जाने से आज के परिवेश में इन्हें पालना बहुत ही कठिन हो गया है। साथ ही मवेशी को चराना और भी ज्यादा कठिन हो गया है। जिसके कारण बहुत से मवेशी आवारा घूमते रहते हैं, जिससे कि फसलों और नागरिकों को भी बहुत नुकसान होता है। मवेशियों के आवारा घूमने के कारण बड़ी संख्या में पशुओं और नागरिकों की मौत दुर्घटनाओं के कारण हो जाती है।

किसान नेता ने यह भी कहा कि गौ वंश की संख्या कम होने के कारण ही रासायनिक खाद से खेती के प्रचलन में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। रासायनिक खाद से खेती में कमी गौ वंश में वृद्धि करके गोबर खाद की अधिक उपलब्धता बढ़ाकर लाई जा सकती है, क्योंकि गौ वंश में वृद्धि से ही अधिक मात्रा में गोबर खाद की प्राप्ति होगी। जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

इसलिए केंद्र सरकार मनरेगा कार्य की सूची में संशोधन कर गाय, बैल, भैंस, भैंसा पालने वाले किसान परिवार को मनरेगा के तहत वर्ष में कम से कम 30 दिन की मजदूरी राशि का भुगतान करे। साथ ही मनरेगा कार्य के नियम में संशोधन कर गांव के साथ ही शहरी क्षेत्र के भी पशु पालकों को मनरेगा के तहत 30 दिवस का मजदूरी भुगतान करे।

इसके साथ ही गांव एवं शहर में पाले गए मवेशियों को चराने के लिए चरवाहे को मनरेगा के मद से वर्ष भर मजदूरी राशि का भुगतान किया जाए। जिससे कि मवेशियों का सड़कों पर आवारा घूमना बंद हो और चरवाहा मवेशी पालक घर से मवेशी को चराने ले जाकर चराकर वापस मवेशी पालक के घर पहुंचा दिया करे। इससे मवेशियों की सुरक्षा के साथ ही फसलों एवं नागरिकों की भी सुरक्षा रहेगी और मवेशी पालने के लिए लोगों को प्रोत्साहन मिलने से पशु धन में वृद्धि होगी। किसान नेता ने कहा कि यदि मवेशी को चराने के लिए चरवाहे को मनरेगा से भुगतान होगा तो बहुत बड़ी संख्या में पशु पालक अन्य तरह के कार्य कर सकेंगे, जिससे कि उस कार्य से मिलने वाली राशि से उनके आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्य खबरें