फर्जी नियुक्ति मामले में विधायक प्रत्याशी का सरकार और अधिकारियों पर बड़ा हमला… पूछा आखिर क्यों दिया जा रहा है 3 अलग अलग जांच में फर्जी करार दी जा चुकी महिला शिक्षिका को संरक्षण ?

विधानसभा चुनाव में जिला मुंगेली के लोरमी विधानसभा से दमदार निर्दलीय प्रत्याशी रहे संजीत बर्मन ने फर्जी नियुक्ति मामले में सरकार और अधिकारियों पर फर्जी महिला शिक्षिका और इस रैकेट को चलाने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए पूछा है कि आखिरकार किस वजह से जांच में दोषी सिद्ध हो चुकी महिला शिक्षिका को संरक्षण दिया जा रहा है क्या इसकी वजह उनकी जाति है दरअसल लगातार देखने को मिल रहा है कि छोटे-छोटे मामलों में जहां शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई हो जा रही है वहीं इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय जेडी सरगुजा और जेडी बिलासपुर से पूरी जांच करा चुका है यहां तक की जेडी बिलासपुर ने तो अपने यहां मामले की जांच एक बार सहायक संचालक और प्राचार्य द्वय के नेतृत्व में कार्यवाही वही दूसरी बार इस मामले की जांच 3 प्राचार्य के कमेटी से करवाई और दोनों ने ही सभी आरोपों को सही पाते हुए कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है , इसके बाद जेडी ने एक माह पहले ही तमाम दस्तावेज और जांच प्रतिवेदन आगामी कार्यवाही के लिए डीपीआई को भेज दिया है बावजूद इसके डीपीआई द्वारा इस मामले में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है ।
शिक्षक नेता की धर्मपत्नी की नियुक्ति विभागीय जांच में फर्जी करार
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति को लेकर 2 अलग अलग शिकायतकर्ताओं राजेश धृतलहरे और हरेश बंजारे ने शिकायत की थी जिनकी शिकायत पर डीपीआई ने मामले की जांच कराई तो यह निकल कर आया कि श्रीमती चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति दरअसल विभाग में कभी हुई ही नहीं है और उन्होंने फर्जी नियुक्ति और स्थानांतरण आदेश के जरिए खुद की नियुक्ति पत्थलगांव में बताकर धोखाधड़ी करके विकासखंड बिल्हा में नौकरी हथिया ली और पिछले 17 सालों से शासन को गुमराह करके नौकरी का लाभ ले रही है । हालत यह है कि जब विभाग ने चंद्ररेखा शर्मा को मौका देते हुए उनकी नौकरी से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा तो उन्होंने लिख कर दे दिया कि उनके पास अपनी नियुक्ति से जुड़े कोई भी ओरिजिनल दस्तावेज नहीं है और जो फोटो कॉपी उन्होंने प्रस्तुत किया उसमें उनका आदेश क्रमांक ही विलोपित कर दिया गया है, दरअसल पूरे खेल का भांडाफोड़ आदेश क्रमांक से ही हुआ है और उनके सर्विस बुक में जिस आदेश क्रमांक का उल्लेख है वह असल में एक आदिवासी महिला नीलम टोप्पो का है जिसकी सही में नौकरी लगी थी और जिसका 12वीं में 65% से अधिक अंक है उन्हीं की आदेश की कॉपी कर 12वीं में तृतीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुई 43% वाली चंद्ररेखा शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हथिया ली । जो दस्तावेज विभाग में प्रस्तुत किए गए हैं वह हैरान करने वाले हैं कि आखिर कोई ऐसा भी कैसे कर सकता है ।
डीपीआई का मिल रहा संरक्षण
इस मामले में दोषी महिला शिक्षिका को स्कूल शिक्षा विभाग का पूरा संरक्षण मिल रहा है यही वजह है कि मामले में दोषी सिद्ध होने के बाद और मुख्यमंत्री जनदर्शन में दो बार शिकायत होने के बाद भी अभी तक उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसे लेकर शिकायतकर्ता और आम शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी है । जबकि ऐसे मामले में विभाग को फर्जी शिक्षिका को बर्खास्त करके उस से वेतन की रिकवरी करते हुए उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई इस प्रकार का कृत्य करने की कोशिश न कर सके और इस पूरे रैकेट का खुलासा हो सके । देखें विधानसभा प्रत्याशी संजीत बर्मन का पोस्ट