उत्तर प्रदेश का गौरव: बीएसएफ में भारतीय नस्ल के कुत्तों की बढ़ती भूमिका, रामपुर हाउंड ने बढ़ाया देश का मान।
उत्तर प्रदेश – जिसने देश को अनगिनत वीरता और परंपरा की कहानियाँ दी हैं, अब एक नई शान से जुड़ गया है — भारतीय नस्ल के कुत्तों की भूमिका से। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक रामपुर नस्ल के कुत्तों को अपनी कार्यशक्ति में शामिल कर एक नई मिसाल कायम की है। रामपुर हाउंड, जो कभी नवाबों के दरबारों और शिकार अभियानों का गौरव रहा करता था, अब राष्ट्र की सुरक्षा में अहम योगदान दे रहा है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” और “वोकल फॉर लोकल” के आह्वान की सशक्त झलक है, जिसने भारतीय नस्लों के पुनर्जागरण को नई दिशा दी है।
प्राचीन काल से ही भारत के इतिहास, संस्कृति और पौराणिक कथाओं में कुत्तों का विशेष सम्मान रहा है। देशी भारतीय नस्लों के कुत्ते अपनी बहादुरी, निष्ठा और शक्ति के लिए जाने जाते हैं। राजदरबारों और रणभूमियों में उनकी उपस्थिति मनुष्य और कुत्ते के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है, जो भारत की सैन्य और सांस्कृतिक परंपरा में गहराई से रचा-बसा है।
इस गौरवशाली परंपरा में एक नया अध्याय जनवरी 2018 में शुरू हुआ, जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सीमा सुरक्षा बल के राष्ट्रीय कुत्ता प्रशिक्षण केंद्र (NTCD), टेकनपुर का दौरा किया। प्रधानमंत्री ने उस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों में भारतीय नस्लों के कुत्तों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके दूरदर्शी मार्गदर्शन से भारतीय नस्लों को पहचान, विकास और परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने का एक नया अभियान प्रारंभ हुआ।
इस दृष्टि को और मजबूत करते हुए, 30 अगस्त 2020 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भारतीय नस्लों को अपनाने और बढ़ावा देने का आग्रह किया — जो आत्मनिर्भर भारत और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना से प्रेरित था। यह आह्वान पूरे देश में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय गौरव और भारतीय परंपरा के पुनर्जागरण से जुड़ी एक जनचेतना बन गया।
प्रधानमंत्री की इस प्रेरणा से उत्साहित होकर, बीएसएफ ने दो भारतीय नस्लों — रामपुर हाउंड (उत्तर प्रदेश) और मुधोल हाउंड (कर्नाटक) — को अपनी टीम में शामिल किया। ये दोनों नस्लें अपनी फुर्ती, सहनशक्ति, अनुकूलन क्षमता और दृढ़ता के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत की विविध जलवायु परिस्थितियों में इनके प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक गुण और कम रखरखाव की आवश्यकता इन्हें कठिनतम क्षेत्रों में भी उपयोगी बनाती है।
रामपुर हाउंड, जो उत्तर प्रदेश के रामपुर रियासत से उत्पन्न हुई नस्ल है, नवाबों द्वारा शिकार के लिए पाली जाती थी और अपनी गति, सहनशक्ति और निडरता के लिए जानी जाती है। वहीं, मुधोल हाउंड, जो दक्कन के पठार की नस्ल है, पारंपरिक रूप से सुरक्षा और शिकार से जुड़ी रही है। इस नस्ल को मुधोल के राजा मलोजीराव घोरपड़े ने पुनर्जीवित किया और ब्रिटिशों के समक्ष “Caravan Hound” के रूप में प्रस्तुत किया।
बीएसएफ ने न केवल इन स्वदेशी नस्लों को एनटीडीसी टेकनपुर में प्रशिक्षित किया है, बल्कि उनके प्रजनन और विस्तार की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह पहल अब विभिन्न के-9 प्रशिक्षण केंद्रों तक विस्तारित हो चुकी है, जिससे भारतीय नस्लों के कुत्तों का व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण और तैनाती सुनिश्चित हुई है।
आज, 150 से अधिक भारतीय नस्ल के कुत्ते बीएसएफ की विभिन्न परिचालन इकाइयों में तैनात हैं — पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं से लेकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों तक — और उन्होंने अपने प्रदर्शन से उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं। उनका योगदान यह सिद्ध करता है कि भारतीय नस्लों को सुरक्षा और परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने का निर्णय पूर्णतः सफल रहा है।
इस गौरवशाली यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट 2024 में लखनऊ में देखने को मिला, जब बीएसएफ की “रिया” नामक मुधोल हाउंड ने इतिहास रचते हुए 116 विदेशी नस्लों को पछाड़कर “बेस्ट इन ट्रैकर ट्रेड” और “बेस्ट डॉग ऑफ द मीट” दोनों खिताब अपने नाम किए। यह उपलब्धि भारतीय नस्लों की क्षमता, अनुशासन और उत्कृष्टता का जीवंत प्रमाण है।
इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, यह राष्ट्रीय गर्व का विषय है कि आगामी एकता दिवस परेड में, एकता नगर (गुजरात) में केवल भारतीय नस्ल के बीएसएफ कुत्तों की विशेष टुकड़ी मार्च करेगी। इस अवसर पर एक डॉग ट्रेनिंग डेमो भी प्रस्तुत किया जाएगा, जो भारतीय नस्लों की सामरिक कुशलता और परिचालन उत्कृष्टता को प्रदर्शित करेगा — आत्मनिर्भर और गर्वीली के-9 शक्ति का प्रतीक बनकर।
भारतीय नस्ल के कुत्तों की भर्ती, प्रजनन और तैनाती बीएसएफ द्वारा भारत की आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय गौरव और स्वदेशी विरासत के पुनर्जागरण की एक सशक्त मिसाल है। यह पहल न केवल भारतीय नस्लों की परंपरा का सम्मान करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत आत्मविश्वास, शक्ति और गरिमा के साथ आगे बढ़ रहा है — जहाँ उत्तर प्रदेश की धरती से जुड़ी रामपुर नस्ल राष्ट्र सेवा की अग्रिम पंक्ति में खड़ी है।
