जैव विविधता मानव जीवन के लिए अमूल्य वरदान: डॉ. एम.एल. नायक।

0
IMG-20250830-WA0001

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा कार्यशाला संपन्न।

रायपुर – भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा आज राजधानी रायपुर स्थित सर्किट हाउस में छत्तीसगढ़ की जैव विविधता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला में प्रख्यात विषय विशेषज्ञ,पूर्व महानिदेशक विज्ञान व प्रौद्योगिकी संस्थान एवं सदस्य राज्य जैव विविधता सरक्षण बोर्ड डॉ एम.एल.नायक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जैव विविधता मानव जीवन के लिए अमूल्य वरदान है। हमारा छत्तीसगढ़ जैव विविधता से समृद्ध है। आज इस समृद्ध जैव विविधता का सरंक्षण जरूरी है।

डॉ. नायक ने कहा कि जैव विविधतता से तात्पर्य पृथ्वी पर जीन,स्पिसिज व इकोसिस्टम स्तर की विभिन्न प्रकार की विविधताओं की उपलब्धतता से है। भारत सरकार द्वारा जैव विविधतता अधिनियम 2002 में पारित किया गया। केंद्र स्तर के जैव विविधतता नियम भारत सरकार ने वर्ष 2004 में बनाये हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने जैव विविधता नियम वर्ष 2015 में जारी किया।

डॉ. नायक ने कहा कि भारत की भूमि सम्पूर्ण पृथ्वी का मात्र 2 प्रतिशत है जिसमें जैव विविधता की उपलब्धतता 7 प्रतिशत है। मानव जीवन का अस्तित्व इन्हीं जैव विविधतताओं की उपलब्धता से दृढ़ता से जुड़ा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ में बताया कि यहां 40 प्रतिशत भू-भाग पर वन हैं और राज्य विभिन्न प्रकार की समृद्ध जैव विविधताओं से परिपूर्ण है। उपलब्ध ऑकड़ों के अनुमान से राज्य में 3000 फूल वाले पौधे, 36 स्तनधारी जीव, 383 पक्षी, 73 सरीसृप प्राणी, 173 तितलियों की प्रजाति पायी जाती हैं। बहुत से जैव विविधतायें विलुप्त होने के कगार पर है एवं उनके संरक्षण के त्वरित व गंभीर प्रशासनिक प्रयास की आवश्यकता है।

डॉ नायक ने कहा अभी भी छत्तीसगढ़ में पेड़ पौधों की कई प्रजातियां ऐसी हैं जिनका खोज किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि उन्हें कांगेर वैली में लंबे समय तक जैव विविधता पर कार्य करने का अवसर मिला। इस दौरान उन्हें कांगेर धारा के पास एक अनूठी प्रजाति के पीपल का वृक्ष मिला। डॉ नायक ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में खोजे गए इस नई प्रजाति के पीपल का नामकरण उनके नाम पर फाइकस नायकाई किया गया है। आईआईपीए छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष ने डॉ. सुयोग्य कुमार मिश्रा सहित सभी सदस्यों ने डॉ नायक को बधाई देते हुए इस खोज को छत्तीसगढ़ के लिए गौरवपूर्ण बताया।

कार्यक्रम के संबंध में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा अध्यक्ष श्री सुयोग्य कुमार मिश्रा ने बताया कि राज्य का लोक प्रशासन संस्थान माननीय उप राष्ट्रपति जी की अध्यक्षता एवं माननीय मंत्री कार्मिक मंत्रालय की सह अध्यक्षता में भारत सरकार कार्मिक मंत्रालय के तहत पजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य कर रहे भारतीय लोक प्रशासन संस्थान नई दिल्ली की राज्य स्तरीय शाखा के रूप में कार्य कर रहा है। छत्तीसगढ़ में कार्य कर रही संस्था अपने प्रारंभिक अवस्था में धीरे धीरे आगे बढ़ने व लोक प्रशासन संबंधित अपेक्षित उद्देश्य को पूर्ण करने की दिशा में प्रयत्नशील है। अब तक लोक प्रशासन से संबधित महत्वपूर्ण विषय चुनाव प्रबंधन की चुनौतियों-पूर्ण किये गये अद्यतन चुनावों के अनुभव, जीवन प्रबंधन, छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी जिलों का विकास, राज्य के छत्तीसगढ़ नामकरण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, आर्टिफिसियल इन्टेलिजेंस और डिजिटल लोक प्रशासन काल में प्रशासनिक नेतृत्व जैसे गंभीर विषयों पर राज्य के प्रशासनिक कार्यों से संबंधित राज्य के प्रबुद्ध जनों एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का वर्कशॉप व विचार विमर्श आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष द्वय पूर्व अपर मुख्य सचिव श्रीमती इन्दिरा मिश्रा और श्री अजय सिंह, सचिव श्री अनुप श्रीवास्तव सहित अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मुख्य खबरें