BALCO का G-9 प्रोजेक्ट: अधूरी अनुमति, गलत तथ्य और 440 पेड़ों की कटाई के आरोप।
भूमिपूजन से उठे गंभीर सवाल।
कोरबा – बालको नगर पाड़ीमार स्थित इंदिरा मार्केट के सामने प्रस्तावित BALCO के G–9 बहुमंजिला आवास निर्माण प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप फिर से चर्चाओं में हैं। अधूरी अनुमति, जंगल मद भूमि पर निर्माण, पेड़ों की फर्जी गिनती और राजनीतिक संरक्षण जैसे मुद्दों ने पूरे प्रकरण को विवादों के केंद्र में ला दिया है।
स्थानीय अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान ने जिला प्रशासन को कई चरणों में लिखित शिकायतें देकर पूरे मामले की जांच की मांग की थी। बावजूद इसके, 17 नवंबर 2025 को प्रदेश सरकार के मंत्री एवं कोरबा विधायक लखनलाल देवांगन द्वारा इस विवादित प्रोजेक्ट का भूमिपूजन कर दिया गया। भूमिपूजन के साथ ही सवाल उठने लगे हैं कि जब समग्र निर्माण अनुमति अभी तक प्राप्त ही नहीं हुई, तब यह औपचारिक कार्यक्रम किस आधार पर किया गया?
जमीन “जंगल मद” दर्ज — फिर भी बहुमंजिला निर्माण की तैयारी
अधिवक्ता नफीस खान द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों के अनुसार, BALCO ने अपने आवेदन में निर्माण स्थल का खसरा नंबर 191/1 दर्शाया है। राजस्व अभिलेखों के मुताबिक यह भूमि “छोटे झाड़ का जंगल मद”, यानी वन स्वरूप वाली श्रेणी में दर्ज है। 
जंगल मद भूमि पर निर्माण हेतु विशेष अनुमति अनिवार्य है, लेकिन ऐसा कोई कागज़ उपलब्ध नहीं है। इससे प्रशासन और कंपनी, दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगते हैं।
पेड़ों की गिनती में भारी गड़बड़ी: 172 बताए, जमीनी गिनती में निकले 440 पेड़BALCO द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों में मात्र 172 पेड़ों का उल्लेख है।जबकि स्थानीय नागरिकों ने जिनमें वार्ड के बीजेपी पार्षद रजत खूंटे शामिल हैं, स्वयं स्थल पर पेड़ों की गिनती की।
इस गिनती में लगभग 440 पेड़ पाए गए, जिनमें—
बरगद
पीपल
पलाश
सेमर
आम
सैकड़ों छोटे पौधेशामिल थे। इन सभी पर क्रमांक भी लगाए गए थे।इतने बड़े अंतर को विशेषज्ञ त्रुटि नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया तथ्य छुपाना मानते हैं, ताकि पेड़-कटाई के लिए रास्ता साफ़ हो सके।
SDO ने अनुमति रद्द की, लेकिन ज़मीन पर काम नहीं रुका
अधिवक्ता खान द्वारा 5 जून, 9 जून और 16 जून 2025 को प्रशासन को लगातार शिकायतें भेजने के बाद SDO राजस्व कोरबा ने माना कि—
भूमि जंगल मद श्रेणी की है
पेड़ों की स्थानांतरण अनुमति गलत आधार पर दी गई थी
3 जून 2025 को SDO ने पेड़ स्थानांतरण की अनुमति रद्द कर दी।
लेकिन शिकायतकर्ता के मुताबिक—
जमीन पर पेड़ न हटे, न सुरक्षित किए गए
कंपनी ने निर्माण भी नहीं रोका
अन्य विभागों द्वारा दी गई अनुमतियों की समीक्षा भी नहीं की गई
इसके विपरीत, वही अधिकारी जिसने अनुमति रद्द की थी, बाद में BALCO के नए आवेदन को फिर से स्वीकार कर लेते हैं। यह प्रक्रिया प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
राजनीतिक रसूख की आड़? मंत्री ने किया भूमिपूजन
सबसे बड़ा विवाद तब पैदा हुआ जब 17 नवंबर 2025 को मंत्री लखनलाल देवांगन ने इस निर्माण स्थल का भूमिपूजन कर दिया।
इस कार्यक्रम में —
BALCO के CEO
नगर निगम कोरबा के महापौर
स्थानीय बीजेपी नेता
संबंधित ठेकेदार
मौजूद रहे।
विपक्षीय नेताओं और स्थानीय जनता ने पूछा है कि बिना अनुमति निर्माण की नींव कैसे डाली जा सकती है?
स्थानीय विरोध, फिर अचानक चुप्पी—क्या हुआ बीजेपी मंडल अध्यक्ष के साथ?
स्थानीय निवासियों के साथ-साथ बीजेपी बालको मंडल अध्यक्ष भी 5 महीनों से लगातार इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे।
लेकिन भूमिपूजन के एक दिन पहले तक विरोध के बावजूद कार्यक्रम वाली सुबह वे मंत्री के साथ मंच पर नज़र आए।
स्थानीय लोगों का सवाल—
“आखिर उनकी चुप्पी किस दबाव या समझौते का नतीजा है?”
जैव विविधता का विनाश—कोयल की आवाज़ से बुलडोज़रों तक
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र वर्षों से प्राकृतिक आवास रहा है।
यहाँ—
कोयल
गौरइया
गिलहरियाँ
जंगली पक्षी
छोटी वनस्पतियाँ
अपनी प्राकृतिक अवस्था में रहते थे।
बुलडोज़रों ने जहाँ कभी घना जंगल सा वातावरण था, उसे कुछ ही दिनों में वीरान कर दिया।
प्रशासनिक मौन—क्या कोई बड़ा खेल?
कई शिकायतों, प्रमाणों और स्थल निरीक्षणों के बावजूद—
पेड़ों की कटाई रोकी नहीं गई
निर्माण स्थगित नहीं हुआ
कोई कड़े कदम नहीं उठाए गए
भूमिपूजन होते समय अधिकारी उपस्थित रहे
यह प्रशासनिक भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
शिकायतकर्ता बोले—“440 पेड़ नहीं बचा पाया, पर न्याय की उम्मीद है”
अधिवक्ता नफीस खान ने बताया—
“मैंने 5 महीनों तक इन पेड़ों को बचाने की पूरी कोशिश की।
लेकिन जब सरकार ही पेड़ों की बलि देने को तैयार हो, तब एक आम नागरिक क्या कर सकता है?
मुझे अफसोस है कि 440 पेड़ों को नहीं बचा पाया।
अब आखिरी रास्ता सिर्फ न्यायालय है।”
“मां के नाम एक पेड़” अभियान बनाम 440 पेड़ों का विनाश
केंद्र सरकार जहां “मां के नाम एक पेड़” जैसी पर्यावरणीय योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, वहीं प्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा 440 पेड़ों की कटाई वाले स्थल पर भूमिपूजन करने को लोग खुला विरोधाभास मान रहे हैं।
निष्कर्ष
BALCO का G–9 आवास निर्माण प्रोजेक्ट सिर्फ एक निर्माण विवाद नहीं, बल्कि—
पर्यावरण,
प्रशासनिक पारदर्शिता,
राजनीतिक हस्तक्षेप
और कॉरपोरेट प्रभावका ज्वलंत उदाहरण बनकर सामने आया है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता तो सैकड़ों पेड़ों के साथ-साथ व्यवस्था पर जनता का भरोसा भी कट जाएगा।
